Thursday, January 31, 2013

नमामि शमीशान निर्वाण रूपं

नमामि शमीशान निर्वाण रूपं।
विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं।
चिदाकाश माकाश वासं भजेयम।
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं।
गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं।
गुणागार संसार पारं नतोहं।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं।
मनोभूति कोटि प्रभा श्री शरीरं।
स्फुरंमौली कल्लो लीनिचार गंगा।
लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा।
चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं।
प्रसन्नाननम नीलकंठं दयालं।
म्रिगाधीश चर्माम्बरम मुंडमालं।
प्रियम कंकरम सर्व नाथं भजामि।
प्रचंद्म प्रकिष्ट्म प्रगल्भम परेशं।
अखंडम अजम भानु कोटि प्रकाशम।
त्रयः शूल निर्मूलनम शूलपाणीम।
भजेयम भवानी पतिम भावगम्यं।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी।
सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी।
चिदानंद संदोह मोहापहारी।
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।
न यावत उमानाथ पादार विन्दम।
भजंतीह लोके परे वा नाराणं।
न तावत सुखं शान्ति संताप नाशं।
प्रभो पाहि आपन्न मामीश शम्भो ।ॐॐ

Tuesday, January 29, 2013

भ्रष्ट

 मित्रो आजकल एक चर्चा चल रही है कि कांग्रेस सरकार इतने घोटाले करने के बाद टिकी कैसे हुई है आखिर भाजपा कुछ करती क्यों नहीं....? क्या ये सरकार भाजपा के सहारे चल रही है ? ... सब को पता है लोकतंत्र में सरकार संख्या बल के सहारे चलती है..... जिसके पास २७३ सांसद है वो इस देश में सरकार चलाएगा क्योंकि उसके पास बहुमत है.. अब कांग्रेस के अकेली के पास तो इतने सांसद नहीं है कि वो सरकार चला सके, उन्हें कई क्षेत्रीय दल साथ दे रहे है और कांग्रेस देश को लूट रही है...इसका मतलब कांग्रेस से ज्यादा वो लोग दोषी है जो कांग्रेस को साथ दे रहे हैं और देश को लुटवा रहे हैं..क्योंकि अगर ये दल अपना समर्थन वापिस ले ले तो ये कांग्रेस कि लूट बंद हो जायेगी.. लेकिन ये अपना समर्थन वापिस नहीं ले रहे हैं इसका मतलब इनको भी हिस्सेदारी तो मिल रही होगी.... इस बात से सेकुलर और साम्प्रदायिकता को भी हमें समझने कि जरुरत है सेकुलर का मतलब ये नहीं कि वो सभी धर्मों का सम्मान करता है ये "सेकुलर" शब्द आजकल और आजतक सिर्फ देश को लूटनेके लिये इस्तेमाल किया गया है सेकुलरता के नाम पर लालू, मुलायम, मायावती कांग्रेस को अपना समर्थन देकर देश को लूट्वाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है..क्या यही इनका धर्म है देश को इतना लूट्वाने के बाद भी ये लोग कांग्रेस से अपना नाता नहीं तोड़ रहे हैं ..इस कारण कांग्रेस कि ताकत अपने आप बढ़ जाती है...क्योंकि कांग्रेस को पता है कि चाहे वो कितना भी लूट ले ये लोग तो इन्हें समर्थन करते ही रहेंगे और ये हो भी रहा है... आज सभी के मन में एक बात चल रही है कि देश को इतना चुना लगाने के बाद भी ये सरकार चल क्यों रही है ?तो इसका जवाब है लालू, मुलायम, मायावती, ममता ये लोग इस लूट के लिये सबसे ज्यादा जिम्मेदार है अगर ये चाहे तो इस सरकार को देश को लूटने से बचा सकते हैं क्योंकि सत्ता कि चाबी इन्ही के हाथ में है..अब सवाल आता है मीडिया का ... मीडिया वाले क्यों इन पार्टियों को कटघरे में नहीं खड़ा कर रहे है जो देश कि लूट होते हुए भी मूकदर्शक बनी हुई है...क्योंकि मीडिया भी पाकसाफ नहीं है।
मेरे हिसाब से, भारतीय जनता पार्टी अपना भला चाहती है, तो इसे शिवसेना जैसी अलगाव-वादी पार्टीयो से किनारा कर लेना चाहिये..शिव-सेना का खुद का तो कोई  राष्ट्रीय प्रभाव है नही, बी.जे.पी. के कंधे चढ कर केंद्रा में 4-6 कुर्सिया मिल जाती हैं, और भाव खाने लगते हैं शिव-सेना वाले.. छोड़ दो सालो को अलग, औकात दिख जायेगी.. बी.जे.पी. के पास तो खुद का विज़न है, केंद्र में अटल सरकार के रहते हुये देश ने उस विज़न को महसूस किया है.. शिव-सेना ने क्या किया? कभी कर्नाटक से लड़ाई, कभी उ.प्र. से, कभी बिहार से, कभी मुस्लिमो से, कभी ईसाइयो से, कभी बेचारे गरीब ऑटो वालो से, कभी गरीब हॉकर्स से, कभी शाहरुख से..... काम ही क्या है इनका? म. न. से. और शिव-सेना जैसी पार्टीयो से राजनीतिक गठजोड़ रखने पर किसी भी पार्टी की साख  पर बट्टा लग सकता है.
वो तो हमेशा ही कांग्रेस को बचाने में लगे रहते हैं...भाजपा विरोध कर सकती है और वो कर रही है ना तो वो सरकार गिरा सकती है और ना ही बिना बहुमत के इन्हें सजा दे सकती है...ये लोग सेकुलर शब्द का सहारा लेकर अपने घर भर रहे हैं ....जनता को इनकी सच्चाई जाननी चाहिए....और देशहित में एक मजबूत नेता के हाथ में हमारे देश कि कमान देनी चाहिए..... मजबूत नेता कौन है ये बताने कि जरुरत नहीं है क्योंकि आज बच्चे बच्चे के जुबान पर मोदी जी का नाम है...जनता को कांग्रेस के साथ साथ उन्हें सहयोग देने वाले लोगों से ये सवाल पूछने चाहिए..कि वो आखिर कौन सी देश भक्ति दिखा रहे हैं इस सरकार को समर्थन देकर...? आज देश को सेकुलर कि नहीं राष्ट्रवादी कि जरुरत है जो देश को सामने रख कर के देशहित में बड़े फैसले करे..... जय हिंद ... वंदेमातरम .... जय माँ भारती......

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Friday, January 18, 2013

तूफानों की ओर घुमा दो

सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ।।




लोग करते हैं कोशिश जितनी मुझे रुलाने की,
मुझे मिलती है ताकत और मुस्कुराने की.....!
वो समझते हैं की मैं टूट के बिखर जाऊँगा,
मुझे यकीन हैं मैं और निखर आऊँगा........!!

Tuesday, January 15, 2013

अपने पत्ते खोल

मैं भी अपनी गठरी खोलूँ तू भी अपनी गाठें खोले
बाद की बातें बाद में होंगी पहले दिल की बात तो होले

कितना रिश्ता कितनी दूरी कितनी गाढ़ी है मजबूरी,
आगा-पीछा सोच-सोच के मौसम अपने पत्ते खोले


अवनी पर चातक प्यासे हैं
अम्बर में चपला प्यासी है,
किसकी प्यास बुझाए बादल
ये याचक हैं, वह दासी है
बनो तृप्ति बन सको अगर तुम लेकिन मुझसे यह मत पूछो,
कितनी प्यास बुझा लाए हो कितनी असफल शेष रह गई ?

बलात्कार की घटनाओं के लिए अकेले पुरुष ही जिम्मेदार नहीं हैं, इसमें स्त्री की भी भूमिका है। वह अपनी पोशाक, मेकअप, चालढाल, व्यवहार आदि से पुरुष को उत्तेजित क्यों करती रहती है? जो स्त्रियां अपने चाल-चलन में शील और संयम का परिचय देने में खुद असमर्थ हैं, उन्हें यह शिकायत करने का नैतिक अधिकार नहीं है कि पुरुष ने खुद पर नियंत्रण खो कर अनैतिक कार्य किया है। कानून की निगाह में, अपराधी ही नहीं, उसे अपराध करने के लिए उकसाने वाला भी सजा का हकदार होता है।

बलात्कार या बलात्कार की धमकी सिर्फ एक कामुक क्रिया नहीं है, यह स्त्री को उसकी परंपरागत और संकीर्ण दुनिया में वापस धकेलने की सुचिंतित रणनीति है। हर छेड़छाड़ या बलात्कार ऊंची आवाज में की गई मुनादी है: खबरदार, बाहर निकली, तो तुम्हारे साथ यही होगा। फैशन करोगी, तब भी तुम्हारे साथ यही होगा। गैर-मर्दों के साथ घूमोगी-फिरोगी, देर रात तक उनके साथ रहोगी, खुलेआम शराब या हुक्का पियोगी तब तो तुम्हारे साथ यह होगा ही। इस चेतावनी में स्त्री के लिए कहीं प्रच्छन्न संकेत यह भी है कि जब तुमने सारी आजादियों का लुत्फ उठाने का फैसला कर लिया है, तो तुम्हें पुरुष (यानी उसकी वासना) के प्रति भी उदारता से पेश आना चाहिए। मर्दों की दुनिया में जीना है, तो मर्दों को नाराज रख कर कितनी दूर जा सकती हो, बेबी? आधुनिक या उत्तर-आधुनिक जीवन शैली और परंपरागत जीवन मूल्य, ये दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते।

Saturday, January 5, 2013

क्या बात करें .....

क्या बात करें किससे बात करें
जब किसी ने सुनना ही नहीं है तो
कितना भी विरोध प्रदर्शन कर लो,
कुछ नहीं होने वाला लेकिन
इतना तो जानते ही है
... वक्त किसी का नहीं होता.
आज उनका तो कल हमारा
कर लीजिये कितने भी जुल्म।
अभी वक्त तुम्हारा है।
हम भी जिद के पक्के है,
इस गुस्से को शांत नहीं होने देंगे।
भरोसा है अपने पर, बदलेगा वक्त जरुर
आज नहीं तो कल, जवाब तो देना होगा
अभी तो यह आगाज़ है, अंजाम बाकी है
कदम अब उठ चुके मंजिल की ओर
नहीं रुकेगे किसी के रोकने से
हर जुल्म का हिसाब लेगें हम
अब नहीं होने देंगे मनमानी
क्योंकि अब हम भी जागे है
हम भी जिद के पक्के है,
इस गुस्से को शांत नहीं होने देंगे।


एक आदमी कुंभ के मेले में प्रार्थना कर रहा था;
हे प्रभु, न्याय करो, हे प्रभु, न्याय करो!
हमेशा भाई-बहन बिछुड़ते हैं;
कभी पति-पत्नी पर भी ट्राई करो!

Friday, January 4, 2013

किताबों के पन्ने पलट कर सोचता हूँ..................!!!

किताबों के पन्ने पलट कर सोचता हूँ ..............
यूँ ही पलट जाये मेरी जिंदगी, तो क्या बात है !!
ख्वाबोँ में रोज मिलता हूँ जिनसे ,

हकीकत में आये, तो क्या बात है !!
कुछ मतलब के लिए ढूंढते है लोग मुझे ,

बिना मतलब जो मिले, तो क्या बात है !!
कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा ,
कोई बातों से ले जाये, तो क्या बात है !!
जो शरीफों कि शराफत में बात न हो,

इक शराबी कह जाये तो क्या बात है !!
अपने रहने तक खुशी दूँगा सब को ,

जो किसी को मेरी मौत से मिल जाये, तो क्या बात है !!
किताबों के पन्ने पलट कर सोचता हूँ..................!!!