Saturday, February 16, 2013

संत वैलेंटाईन

क्या आप को पता है संत वैलेंटाईन आर्य और भारत के निवासी थे उन्होने ही दुनिया को प्रेम का संदेश दिया था। वे छत्तीसगढ़ के फ़लम नार के निवासी थे और वहा से रोम तक प्रेम का संदेश देते गये थे। उनका संस्कृत नाम विलोनत्रिक अनश्य था जो कि लैटीन मे अपभ्रंश होकर वैलेन्टिनस हो गया।
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आयं आप नही मानते

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अगस्त्य संहिता मे उनके बारे मे पूरा एक अध्याय है वे गुरू अगस्तय के कहने से ही उस समय के रोम जो कि आर्यावर्त का हिस्सा था गये थे
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आयं आप अब भी नही मानते

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\क्यो मानोगे देश द्रोही बिकाउ भांड इसाई मुसलमान के वंशज जो ठहरे जिनका एकमात्र कार्य हिंदु धर्म को नीचा दिखाना और विधर्मियो कि तारीफ़ करना है

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आप तो यह भी नही मानोगे कि मक्का मे शिव मंदिर था जिसे ही अंदर छुपा कर उसकी शक्ति ले उसके उपर काबा बनाया गया है। वहा के कुंओ मे तेल दरासल शिव जी द्वारा समुद्र मंथन मे निगला गया विष है जिसे शिव जी ने रेगिस्तान मे गहरे रख दिया था।
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यहा तक कि ताजमहल वास्तव मे तेजोमहालय था जिसे शाहजहां ने अपना मकबरा बना लिया था

बोलो भारत माता की जय

भोजशाला मध्य प्रदेश


12 मई 1997 को माँ सरस्वती की प्राकट्य स्थली भोजशाला मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्यविजय सिंह के द्वारा हिन्दुओं के लिये पूर्ण प्रतिबंधित कर दी गयी थी. किन्तु आज वहाँ पूजा भी होती है और नमाज़ भी अता की जाती है. यह मिसाल है उस भारत की जहाँ सभेी धर्मों को एक समान माना जाता है. अपनी इसी पहचान के कारण हमारी हिन्दू संस्कृ्ति बची हुई है और पश्चिम के लोग इसे लगातार स्वीकार भी कर रहे हैं. आज जब काँग्रेसी छल से उबरता हुआ समाज जाति धर्म से उपर उठकर विकास की नयी इबारते लिखने वालों को अपना नेता चुन रहा है तब फिर से भारतीय जनमानस को धार्मिक रंग में रंगकर एक वीभत्स खेल खेलने की असफल कोशिश की गयी थी. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार इस षडयंत्र को विफल करने के लिये वास्तव में बधाई की पात्र है. जरा सोचिये! अगर वहाँ आज प्रशासन की देखरेख में नमाज़ न अता की गयी होती तो इसे कैसा राजनैतिक रंग दिया जाता. काँग्रेस के कुप्रचार को दरकिनार कर जब एक समाज विकास एवं सुशासन के लिये आपके पास आ रहा हो, उसे आपकी छोटी सी जिद फिर से छिटका सकती है और काँग्रेस यही चाहती है. जो लोग दिल्ली के सुभाष पार्क से भोजशाला की तुलना कर रहे हैं, उन्हे बताना चाहूँगा कि न्याय व्यवस्था का सम्मान न करना कुशासन है और कोई अच्छी सरकार यह कार्य नहीं करेगी.
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह, मध्य प्रदेश

‎12 मई 1997 को माँ सरस्वती की प्राकट्य स्थली भोजशाला मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्यविजय सिंह के द्वारा हिन्दुओं के लिये पूर्ण प्रतिबंधित कर दी ग...यी थी. किन्तु आज वहाँ पूजा भी होती है और नमाज़ भी अता की जाती है. यह मिसाल है उस भारत की जहाँ सभेी धर्मों को एक समान माना जाता है. अपनी इसी पहचान के कारण हमारी हिन्दू संस्कृ्ति बची हुई है और पश्चिम के लोग इसे लगातार स्वीकार भी कर रहे हैं. आज जब काँग्रेसी छल से उबरता हुआ समाज जाति धर्म से उपर उठकर विकास की नयी इबारते लिखने वालों को अपना नेता चुन रहा है तब फिर से भारतीय जनमानस को धार्मिक रंग में रंगकर एक वीभत्स खेल खेलने की असफल कोशिश की गयी थी. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार इस षडयंत्र को विफल करने के लिये वास्तव में बधाई की पात्र है. जरा सोचिये! अगर वहाँ आज प्रशासन की देखरेख में नमाज़ न अता की गयी होती तो इसे कैसा राजनैतिक रंग दिया जाता. काँग्रेस के कुप्रचार को दरकिनार कर जब एक समाज विकास एवं सुशासन के लिये आपके पास आ रहा हो, उसे आपकी छोटी सी जिद फिर से छिटका सकती है और काँग्रेस यही चाहती है. जो लोग दिल्ली के सुभाष पार्क से भोजशाला की तुलना कर रहे हैं, उन्हे बताना चाहूँगा कि न्याय व्यवस्था का सम्मान न करना कुशासन है और कोई अच्छी सरकार यह कार्य नहीं करेगी।

आज आकलन करना इतना कठिन लग रहा है जितना कभी भी नहीं था ....
कुछ मित्र मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार से नाराज़ है और होना भी चाहिए मैं भी हूँ ,, सिर्फ नाराज़ नहीं अत्यधिक क्रोधित भी हूँ ,,,,
लेकिन आकलन करता हूँ तो स्तिथि कुछ और होती है ....

अगर मंगलवार को ईद पड़े तो ? क्या हिन्दू मंगलवार को वहां नमाज़ पड़ने देते ??
... हाँ भोजशाला एक मंदिर है यह अटल सत्य है किन्तु २००६ से पहले कितने फेसबुक मित्र भोजशाला के विषय में जानते थे ? जैसा आज हुआ है उस दिन भी वैसा ही हुआ था ...

२००३ तक भोजशाला में हिन्दुओं का प्रवेश ना के बराबर था साल में केवल एक बार बसंत पंचमी को .. सर्वोच्च न्यायालय का आदेश ,, राम जन्म भूमि की तरह |

दिग्विजय सिंह ने खुद खड़े होकर कहा की कोई हिन्दू यहाँ नहीं घुसेगा यहाँ सिर्फ नमाज़ होगी ,, खाल खिचवा लूंगा अगर किसी को मस्जिद में देख लिया ,, यानी दिग्विजय के मुताबिक़ भोजशाला मस्जिद थी ... हिन्दू चुप नामर्दों की तरह , नहीं गए मंदिर , नहीं की पूजा ||

मध्य प्रदेश सत्ता परिवर्तन , भाजपा सत्ता पर काबिज ,,, ध्यान दे भाजपा के चुनावी मुद्दे में भोजशाला को पुनः मंदिर के रूप में भव्य रूप देना था ,, मगर केंद्र का सत्ता परिवर्तन हो जाता है | सर्वोच्च न्यायालय में भाजपा शासित मध्य प्रदेश सरकार किसी तरह से मंगलवार को पूजन और अन्य दिवस पर भोजशाला दर्शन की अनुमति ले लेती है , न्यायालय अनुमति देता है किन्तु विवाद के निपटने तक शुक्रवार की नमाज़ निरंतर चालू रखने का आदेश देती है |

कहते है की इंसान की एक गलती उसकी सौ अच्छाईयों को समाप्त कर देती है ऐसा ही हुआ शिवराज सिंह के साथ ,,,

आज निंदा के पात्र बने शिवराज सिंह वो ही शिवराज सिंह है जिन्होंने मध्य प्रदेश में मुस्लिमों के विरोध के बाद लाखो की संख्या में सूर्य नमस्कार कर विश्व कीर्तिमान बनाया | ऐसा भारत के अन्य किसी राज में नहीं हुआ सरकार भले ही जिसकी भी हो |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने पुरे भारत के मुस्लिम मौलवियों के कड़े विरोध के बाद गीता को मध्यप्रदेश में पाठ्यक्रम में शामिल किया ,, ऐसा भारत के अन्य किसी राज में नहीं हुआ सरकार भले ही जिसकी भी हो |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने जिस भोजशाला में बरसो हिन्दू जाने से डरते थे उस भोज शाळा में पूजा अर्चना शुरू की गई |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने पुरे भारत के मुस्लिम मौलवियों के कड़े विरोध के बाद गीता को मध्यप्रदेश में पाठ्यक्रम में शामिल किया ,, ऐसा भारत के अन्य किसी राज में नहीं हुआ सरकार भले ही जिसकी भी हो |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने जिस भोजशाला में बरसो हिन्दू जाने से डरते थे उस भोज शाळा में पूजा अर्चना शुरू की गई |
खैर निंदा तो होनी चाहिए क्योकि हम हिन्दू है और भोजशाला हमारी आस्था से जुड़ा हुआ मुद्दा है ,,, भले ही पिछले २ महा के आव्हान के बाद आज शिवराज सिंह की निंदा करने वाले उनको मुल्ला कहने वाले लोग भोजशाला में होने वाली पूजा में हिस्सा लेने नहीं गए |

27 में से 24 सीटें जामनगर में मुल्लों ने भाजपा के टिकट पर जीती ,, 24 मुल्लों में से ही एक मेयर बनेगा , फिर विधायक , फिर सांसद फिर अकबरुद्दीन और असयुद्दीन ओवैसी ,,, लेकिन आज शिवराज सिंह को मुल्ला कहने वाले महानुभाव जामनगर में मुस्लिमो की जीत पर जय जय कार कर रहे थे|

हिन्दुस्थान की १९४७ के बाद की गांधीवादी अहिंसा के पालक सेकुलर जीव यदि उस समय एक हो गए होते और उसी समय सरकार पर अपना दबाब बना दिया होता तो आज यह स्तिथि ना होती ||

खैर मध्य प्रदेश सरकार और शिवराज सिंह का विरोध होना चाहिए और इतना होना चाहिए के अगले चुनाव में दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बने और भोजशाला में पूजा फिर से बंद हो सके |
भाजपा का विरोध होना चाहिए ताकि २०१४ में कांग्रेस फिर से सत्ता में आये और सुभाष पार्क के अलावा भी और मस्जिदे बनायीं जा सके ||

जय जय सियाराम ,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ,, जय जय माँ जननी ||

संघे शक्ति कलियुगे ...........

Gandhi statue

पटना में स्थापित की गई विश्व की सबसे ऊंची गांधी प्रतिमा

 पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के साथ शुक्रवार को एक नई उपलब्धि जुड़ गई। महात्मा गांधी की विश्व में अब तक की सबसे ऊंची प्रतिमा का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वसंत पंचमी की सुबह अनावरण किया। गांधीवादी विचारक रजी अहमद ने बताया कि इस 40 फीट ऊंची कांस्य की प्रतिमा का बेस 34 फीट है। इस हिसाब से पूरी प्रतिमा 74 फीट ऊंची है। प्रतिमा अनावरण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बापू की यह प्रतिमा बगैर किताब पढ़े लोगों को आजादी की लड़ाई की कहानी बताएगी। प्रतिमा आने वाली पीढि़यों को देश की आजादी में दी गई कुर्बानी की याद दिलाएगी।



Friday, February 15, 2013

चलता रहा बस

मोहब्तें जब याद करना, तो साजिशें भी याद करना
जो मेरे हिस्से में आये है, वो अज़ियातें भी याद करना

तू तू ही रहा मैं न हुआ
मैं मैं ही रहा तू न हुआ
सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

चलता रहा बस चलता रहा
रास्तों को ही तय बस करता रहा
मंजिलों से बच के निकलता रहा
सफर की चाहत थी वो करता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या


दुनिया में खुशियों की कमी न थी
तू गम को उसके ले साथ जीता रहा
प्यारा था वो तुझे जिंदगी से ज्यादा
शायद  इस लिए तू खुद से भी बचाता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

सही गलत के तराजू में तौलता रहा खुद को
सही भी जो   तुने सोचा था
गलत भी जो तुने सोचा था
बस यूँ ही फैसले करता रहा

सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या


जिंदगी भर यूँ जिंदगी के इंतज़ार में
जिंदगी से दूर हो के बस चलता रहा
खीचता था जब भी कोई तुझे तेरी और
तू उस से  ही न जाने क्यों  दूर होता रहा


सोचता हैं तू ये क्या हुआ
और मैं कहता हूँ हुआ क्या

फिर वसंत की

फिर वसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण,
अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति सांस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर वसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण,
किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !
स्वागत बसंत!!!!!!!!!!!!!!


फिर वसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण,
अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति सांस-सा मलय समीरण,
... चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर वसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण,
किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !
स्वागत बसंत!!!!!!!!!!!!!!



तुम्हारा पहली मै हो नहीं सकी,

वक़्त ने साथ नहीं दिया,

दूसरी, तीसरी, या चौथी ...

मै होना नहीं चाहती,

आखिरी होने का प्रस्ताव रखती हूँ,

... कोई जल्दी नहीं ...
जब तुम्हारा दिल,
इस दुनिया की हर शय से भर जाये,
और जीने की कोई वजह ना हो,
तो मेरा प्रस्ताव स्वीकार कर लेना !!!
तुम्हारे इंतज़ार में ......................

प्रस्ताव दिन की शुभकामनायें .......


मैं कुछ बेहतर ढूँढ़ रहा हूँ
घर में हूँ घर ढूँढ़ रहा हूँ

घर की दीवारों के नीचे
नींव का पत्थर ढूँढ़ रहा हूँ
...
जाने किसकी गरदन पर है
मैं अपना सर ढूँढ़ रहा हूँ

हाथों में पैराहन थामे
अपना पैकर ढूँढ़ रहा हूँ

मेरे क़द के साथ बढ़े जो
ऐसी चादर ढूँढ़ रहा हूँ..

प्रयत्न ....
 

Tuesday, February 12, 2013

शाम से आँख में नमी सी है,

 शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है,
दफ़न कर दो हमें कि सांस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है,
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है,
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी,
एक तस्लीम लाज़मी सी है.


ये इश्क का किस्सा भी.......
क्या अजब सा किस्सा है 'कमबख्त',
मिल जाओ तो बातें लम्बी.........

बिछड़ जाओ ...तो यादें लम्बी.

Monday, February 11, 2013

ज़हर भर चुका है.....


ज़हर भर चुका है दिलों में हमारे
सभी सो रहे है खुदा के भरोसे
जुबां बंद फिर भी अजब शोर-गुल है
हैं जाने कहाँ गुम अमन के नज़ारे
धरम बेचते हैं धरम के पुजारी
... हमें लूटते हैं ये रक्षक हमारे
भला कब हुआ है कभी दुश्मनी से
बचा ही नहीं कुछ लुटाते-लुटाते
बटा घर है बारी तो शमशान की
अब यूँ लड़ते हुये हम कहाँ तक गिरेंगे
धरम का था मतलब खुदा से मिलाना
खुदा को ही बांटा धरम क्या निभाते

ये गम नही

ये  गम नही की कसम अपनी दिलाइ तुमने,,,,,
गम तो ये हे के रकीबों से निभाई तुमने,,,,,
ज़िंदगानी का सफर तन्हा भी कट ही जाता,,,
किस लिए राह् मुहोब्बत की दिखाई तुमने,,,,,,
कोई रंजिस थी अगर तुमको तो मुझसे कहती ,
बात आपस की थी क्यूँ सबको बताई तुमने,,,,,




आसमां से न पूछो दर्द क्या है, रात को तारों का टूटना,
हमारे दिल से पूछो दर्द, क्या होता है, ये दिल का टूटना




एक दुआ मांगते है हम अपने भगवान से,
चाहते है आपकी ख़ुशी पुरे ईमान से,
सब हसरतें पूरी हो आपकी,
और आप मुस्कराएँ दिलो जान से।


ख़ुशी से बीते हर दिन
हर सुहानी रात हो
जिस तरफ आपके कदम पड़े
वहां फूलों की बरसात हो
HAPPY BIRTHDAY TO YOU .

Shree Vishnu Arati

Monday, February 4, 2013

जब सारा देश रोया,


जब सारा देश रोया, कोई कांग्रेसी नहीं रोया

जब करोडो के घोटाले हुए - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब पाक ने जवानों के सर काटे-सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब महंगाई बढ़ी - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब दामिनी दुनिया से गयी - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
 जब डीज़ल महंगा हुआ- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब रेल किराया बढ़ा- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया.
पर ये कांग्रेसी रोये भी तो राहुल के भाषण को सुनकर।

आँखे जब भी बंद की, एक चेहरा रौशन पाया
जब भी देखा तुमको मुझे बस खुदा याद आया