नेता और कुत्ता
एक दिवस मैंने था सोचा, क्यों न मैं नेता बन जाऊँ।
पर नेताओं के गुण क्या हैं, उन गुण को मैं कैसे पाऊँ।।
मैंने पूँछा इक कुत्ते से, नेता की परिभाषा क्या है।
भौं भौं करके वह था बोला, नेता क्या तूँ कोई नया है।।
... नेता मेरे जैसे होते, मेरी जैसी करते भौं भौं।
वह आगे ही बढ़ते ही जाते, मेरे गुण अपनाते ज्यों ज्यों।।
हाई कमान के सम्मुख सारे, नेता अपनी पूँछ हिलाते।
चलते फिरते सोते जगते, हाई कमान चालीसा गाते।।
दिखे जो नेता कोई विरोधी , गाली देते हैं गुर्राते।
भूल के अपनी मर्यादा को, भौं भौं कर उसको दौड़ाते।।
जब आता कुत्तों का मौसम, कुत्ते दिखते जगह जगह पर।
जब आता चुनाव का मौसम, नेता दिखते गाँव शहर हर।।
कुत्तों का बस एक धर्म है, जिसकी खायें सदा भजायें।
नेताओं का धर्म न कोई, देश की खायें देश को खायें।।
एक ओर गुण मेल न खाता, हम मालिक अपने न बदलें।
सत्ता के खाति तो नेता, सब मतलब परस्त ही निकलें।।
हम कुत्ते हैं सभी जानते, नहीं पता नेता की जात का।
सदा बदलते रहते जो दल, धोबी कुत्ता घर न घाट का।।
टूट गया था मेरा सपना, बीबी ने आवाज लगाई।
कभी मैं नेता नहीं बनूँगा, कुत्ते की सौगंध ये खाई।।
नेता और वेश्या
नेता और वेश्या में,
कोई खास फर्क नहीं है।
नेता को वेश्या मान लूँ,
इसका अर्थ यही है।।
जिस तरह से वेश्यायें,
बनावटी श्रंगार करके
अपने ग्राहको को
बेवकूफ बनाती हैं
उसी तरह से नेता भी
झूठे लुभावने आश्वासनों से
जनता को लुभा करके
बेवकूफ बनाते हैं
और जीतने के बाद
सभी वादे भूल जाते हैं
यदि आप मेरी बात से
असहमत हों
तो कृपया मेरी शंका का
समाधान करें
Adalat-e-hushan me phunch ke friyad kiya hmne ,
Ki mukdma-e-muhbbat me , mujhe koi sja to dijiye,,,
Kadmo me pde dil ka dher dikha ke wo boli ,
Kaun sa dil hai aapka, phle shinakht to kr lijiye.............
भूल से अगर कोई भूल हुई ,
तो भूल समझ कर उसे भूल जाना,
मगर भाई भूलना सिर्फ भूल को,
भूलकर भी हमें न भूल जाना !!