Saturday, February 16, 2013

भोजशाला मध्य प्रदेश


12 मई 1997 को माँ सरस्वती की प्राकट्य स्थली भोजशाला मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्यविजय सिंह के द्वारा हिन्दुओं के लिये पूर्ण प्रतिबंधित कर दी गयी थी. किन्तु आज वहाँ पूजा भी होती है और नमाज़ भी अता की जाती है. यह मिसाल है उस भारत की जहाँ सभेी धर्मों को एक समान माना जाता है. अपनी इसी पहचान के कारण हमारी हिन्दू संस्कृ्ति बची हुई है और पश्चिम के लोग इसे लगातार स्वीकार भी कर रहे हैं. आज जब काँग्रेसी छल से उबरता हुआ समाज जाति धर्म से उपर उठकर विकास की नयी इबारते लिखने वालों को अपना नेता चुन रहा है तब फिर से भारतीय जनमानस को धार्मिक रंग में रंगकर एक वीभत्स खेल खेलने की असफल कोशिश की गयी थी. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार इस षडयंत्र को विफल करने के लिये वास्तव में बधाई की पात्र है. जरा सोचिये! अगर वहाँ आज प्रशासन की देखरेख में नमाज़ न अता की गयी होती तो इसे कैसा राजनैतिक रंग दिया जाता. काँग्रेस के कुप्रचार को दरकिनार कर जब एक समाज विकास एवं सुशासन के लिये आपके पास आ रहा हो, उसे आपकी छोटी सी जिद फिर से छिटका सकती है और काँग्रेस यही चाहती है. जो लोग दिल्ली के सुभाष पार्क से भोजशाला की तुलना कर रहे हैं, उन्हे बताना चाहूँगा कि न्याय व्यवस्था का सम्मान न करना कुशासन है और कोई अच्छी सरकार यह कार्य नहीं करेगी.
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह, मध्य प्रदेश

‎12 मई 1997 को माँ सरस्वती की प्राकट्य स्थली भोजशाला मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्यविजय सिंह के द्वारा हिन्दुओं के लिये पूर्ण प्रतिबंधित कर दी ग...यी थी. किन्तु आज वहाँ पूजा भी होती है और नमाज़ भी अता की जाती है. यह मिसाल है उस भारत की जहाँ सभेी धर्मों को एक समान माना जाता है. अपनी इसी पहचान के कारण हमारी हिन्दू संस्कृ्ति बची हुई है और पश्चिम के लोग इसे लगातार स्वीकार भी कर रहे हैं. आज जब काँग्रेसी छल से उबरता हुआ समाज जाति धर्म से उपर उठकर विकास की नयी इबारते लिखने वालों को अपना नेता चुन रहा है तब फिर से भारतीय जनमानस को धार्मिक रंग में रंगकर एक वीभत्स खेल खेलने की असफल कोशिश की गयी थी. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार इस षडयंत्र को विफल करने के लिये वास्तव में बधाई की पात्र है. जरा सोचिये! अगर वहाँ आज प्रशासन की देखरेख में नमाज़ न अता की गयी होती तो इसे कैसा राजनैतिक रंग दिया जाता. काँग्रेस के कुप्रचार को दरकिनार कर जब एक समाज विकास एवं सुशासन के लिये आपके पास आ रहा हो, उसे आपकी छोटी सी जिद फिर से छिटका सकती है और काँग्रेस यही चाहती है. जो लोग दिल्ली के सुभाष पार्क से भोजशाला की तुलना कर रहे हैं, उन्हे बताना चाहूँगा कि न्याय व्यवस्था का सम्मान न करना कुशासन है और कोई अच्छी सरकार यह कार्य नहीं करेगी।

आज आकलन करना इतना कठिन लग रहा है जितना कभी भी नहीं था ....
कुछ मित्र मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार से नाराज़ है और होना भी चाहिए मैं भी हूँ ,, सिर्फ नाराज़ नहीं अत्यधिक क्रोधित भी हूँ ,,,,
लेकिन आकलन करता हूँ तो स्तिथि कुछ और होती है ....

अगर मंगलवार को ईद पड़े तो ? क्या हिन्दू मंगलवार को वहां नमाज़ पड़ने देते ??
... हाँ भोजशाला एक मंदिर है यह अटल सत्य है किन्तु २००६ से पहले कितने फेसबुक मित्र भोजशाला के विषय में जानते थे ? जैसा आज हुआ है उस दिन भी वैसा ही हुआ था ...

२००३ तक भोजशाला में हिन्दुओं का प्रवेश ना के बराबर था साल में केवल एक बार बसंत पंचमी को .. सर्वोच्च न्यायालय का आदेश ,, राम जन्म भूमि की तरह |

दिग्विजय सिंह ने खुद खड़े होकर कहा की कोई हिन्दू यहाँ नहीं घुसेगा यहाँ सिर्फ नमाज़ होगी ,, खाल खिचवा लूंगा अगर किसी को मस्जिद में देख लिया ,, यानी दिग्विजय के मुताबिक़ भोजशाला मस्जिद थी ... हिन्दू चुप नामर्दों की तरह , नहीं गए मंदिर , नहीं की पूजा ||

मध्य प्रदेश सत्ता परिवर्तन , भाजपा सत्ता पर काबिज ,,, ध्यान दे भाजपा के चुनावी मुद्दे में भोजशाला को पुनः मंदिर के रूप में भव्य रूप देना था ,, मगर केंद्र का सत्ता परिवर्तन हो जाता है | सर्वोच्च न्यायालय में भाजपा शासित मध्य प्रदेश सरकार किसी तरह से मंगलवार को पूजन और अन्य दिवस पर भोजशाला दर्शन की अनुमति ले लेती है , न्यायालय अनुमति देता है किन्तु विवाद के निपटने तक शुक्रवार की नमाज़ निरंतर चालू रखने का आदेश देती है |

कहते है की इंसान की एक गलती उसकी सौ अच्छाईयों को समाप्त कर देती है ऐसा ही हुआ शिवराज सिंह के साथ ,,,

आज निंदा के पात्र बने शिवराज सिंह वो ही शिवराज सिंह है जिन्होंने मध्य प्रदेश में मुस्लिमों के विरोध के बाद लाखो की संख्या में सूर्य नमस्कार कर विश्व कीर्तिमान बनाया | ऐसा भारत के अन्य किसी राज में नहीं हुआ सरकार भले ही जिसकी भी हो |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने पुरे भारत के मुस्लिम मौलवियों के कड़े विरोध के बाद गीता को मध्यप्रदेश में पाठ्यक्रम में शामिल किया ,, ऐसा भारत के अन्य किसी राज में नहीं हुआ सरकार भले ही जिसकी भी हो |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने जिस भोजशाला में बरसो हिन्दू जाने से डरते थे उस भोज शाळा में पूजा अर्चना शुरू की गई |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने पुरे भारत के मुस्लिम मौलवियों के कड़े विरोध के बाद गीता को मध्यप्रदेश में पाठ्यक्रम में शामिल किया ,, ऐसा भारत के अन्य किसी राज में नहीं हुआ सरकार भले ही जिसकी भी हो |

आज निंदा का पात्र बने शिवराज सिंह वही शिवराज सिंह है जिसने जिस भोजशाला में बरसो हिन्दू जाने से डरते थे उस भोज शाळा में पूजा अर्चना शुरू की गई |
खैर निंदा तो होनी चाहिए क्योकि हम हिन्दू है और भोजशाला हमारी आस्था से जुड़ा हुआ मुद्दा है ,,, भले ही पिछले २ महा के आव्हान के बाद आज शिवराज सिंह की निंदा करने वाले उनको मुल्ला कहने वाले लोग भोजशाला में होने वाली पूजा में हिस्सा लेने नहीं गए |

27 में से 24 सीटें जामनगर में मुल्लों ने भाजपा के टिकट पर जीती ,, 24 मुल्लों में से ही एक मेयर बनेगा , फिर विधायक , फिर सांसद फिर अकबरुद्दीन और असयुद्दीन ओवैसी ,,, लेकिन आज शिवराज सिंह को मुल्ला कहने वाले महानुभाव जामनगर में मुस्लिमो की जीत पर जय जय कार कर रहे थे|

हिन्दुस्थान की १९४७ के बाद की गांधीवादी अहिंसा के पालक सेकुलर जीव यदि उस समय एक हो गए होते और उसी समय सरकार पर अपना दबाब बना दिया होता तो आज यह स्तिथि ना होती ||

खैर मध्य प्रदेश सरकार और शिवराज सिंह का विरोध होना चाहिए और इतना होना चाहिए के अगले चुनाव में दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बने और भोजशाला में पूजा फिर से बंद हो सके |
भाजपा का विरोध होना चाहिए ताकि २०१४ में कांग्रेस फिर से सत्ता में आये और सुभाष पार्क के अलावा भी और मस्जिदे बनायीं जा सके ||

जय जय सियाराम ,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ,, जय जय माँ जननी ||

संघे शक्ति कलियुगे ...........

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